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डी. जे. पर प्रतिबन्ध लगे

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  आजकल शादी विवाह समारोह चल रहे हैं, आज घर के पीछे स्थित एक धर्मशाला में विवाह समारोह थाऔर जैसा कि आजकल का प्रचलन है वहाँ डी.जे. बज रहा था और शायद उच्चतम ध्वनि में बज रहा था और जैसा कि डी.जे. का प्रभाव होता है वही हो रहा था ,उथल-पुथल मचा रहा था ,मानसिक शांति भंग कर रहा था और आश्चर्य की बात है कि हमारे कमरों के किवाड़ भी हिले जा रहे थे ,हमारे कमरों के किवाड़ जो कि ऐसी दीवारों में लगे हैं जो लगभग दो फुट मोटी हैं और जब हमारे घर की ये हालत थी तो आजकल के डेढ़ ईंट के दीवार वाले घरों की हालत समझी जा सकती है .बहुत मन किया कि जाकर डी.जे. बंद करा दूँ किन्तु किसी की ख़ुशी में भंग डालना न हमारी संस्कृति है न स्वभाव इसलिए तब किसी तरह बर्दाश्त किया किन्तु आगे से ऐसा न हो इसके लिए कानून में हमें मिले अधिकारों की तरफ ध्यान गया . भारतीय दंड सहिंता का अध्याय 14 लोक स्वास्थ्य ,क्षेम ,सुविधा ,शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में है और इस तरह से शोर मचाकर जो असुविधा जन सामान्य के लिए उत्पन्न की जाती है वह दंड सहिंता के इसी अध्याय के अंतर्गत अपराध मानी जायेगी और लोक न्यूसेंस के अंतर्गत

दहेज कुप्रथा से बेटी को बचाने में सरकार और कानून असफल

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  आजकल रोज समाचारपत्रों में महिलाओं की मौत के समाचार सुर्खियों में हैं जिनमे से 90 प्रतिशत समाचार दहेज हत्याओं के हैं. जहां एक ओर सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए गाँव और तहसील स्तर पर "मिशन शक्ति" कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही है, सरकारी आदेशों के मुताबिक परिवार न्यायालयों में महिला के पक्ष को ही ज्यादा मह्त्व दिया जाता है वहीं सामाजिक रूप से महिला अभी भी कमजोर ही कही जाएगी क्योंकि बेटी के विवाह में दिए जाने वाली "दहेज की कुरीति" पर नियंत्रण लगाने में सरकार और कानून दोनों ही अक्षम रहे हैं.           एक ऐसा जीवन जिसमे निरंतर कंटीले पथ पर चलना और वो भी नंगे पैर सोचिये कितना कठिन होगा पर बेटी ऐसे ही जीवन के साथ इस धरती पर आती है .बहुत कम ही माँ-बाप के मुख ऐसे होते होंगे जो ''बेटी पैदा हुई है ,या लक्ष्मी घर आई है ''सुनकर खिल उठते हों .                  'पैदा हुई है बेटी खबर माँ-बाप ने

UP वालों को योगी सरकार द्वारा फ्री मिलेगी कानूनी सहायता

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योगी सरकार ने प्रदेश की जनता को फ्री कानूनी सहायता देने और छोटे-छोटे विवादों को समझौते के आधार पर निपटाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत दो वर्ष के लिए कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) को लागू किया है। योगी सरकार ने प्रदेश की जनता को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की है ताकि आपराधिक मामलों में सार्वजनिक रक्षक प्रणाली की तर्ज पर आम जन को कानूनी सहायता प्रदान की जा सके। एलएडीसीएस प्रणाली में चीफ, डिप्टी एवं असिस्टेंट काउंसिल की सेवाओं के माध्यम से आम जन को कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी। समाज के कमजोर वर्ग को मिलेगी फ्री कानूनी सेवाएं- योगी सरकार का एलएडीसीएस का लागू करने का उद्​देश्य समाज के कमजोर और निर्बल वर्गों को प्रभावी और कुशल कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए न्यायालय आधारित कानूनी सेवाओं को मजबूत करना है। साथ ही पात्र व्यक्तियों को आपराधिक मामलों में गुणात्मक और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करेगा। इसका लाभ अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्य उठा सकते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा किए जा रहे अवैध व्यापार से पीड़ित इसका सीधा लाभ ले सकेगा। आपको बताते

शिव किशोर गौड़ एडवोकेट - कुशल नेतृत्व - उज्ज्वल भविष्य बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश

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          पूरे भारत में मार्च 2023 तक, भारत में अधिवक्ताओं/वकीलों की संख्या 1.5 मिलियन (15 लाख) से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें लगभग एक लाख अधिवक्ता  बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध हैं. एक औसत बुद्धि का व्यक्ति भी अनुमान लगा सकता है कि इतनी विशाल संस्था के सर्वोच्च पद पर आसीन पदाधिकारी पर अधिवक्ताओं के हितों को संरक्षित करने की कितनी महती जिम्मेदारी है. पूरे प्रदेश में एक भी अधिवक्ता के साथ कुछ गलत घटित होने पर जितनी तत्परता के साथ वर्तमान में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन पद पर आसीन श्री शिव किशोर गौड़ जी द्वारा संज्ञान में लेकर कार्यवाही की जा रही है, वह उल्लेखनीय है।           हापुड़ में पुलिस महकमे द्वारा निर्दोष अधिवक्ताओं पर किए गए बर्बरता पूर्ण हमले पर भी श्री शिव किशोर गौड़ जी द्वारा सख्त रूख अपनाकर प्रदेश व्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया और पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान को धरातल पर मजबूती प्रदान की। इसका ही परिणाम था कि प्रदेश सरकार को झुककर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन श्री शिव किशोर गौड़ जी को वार्ता के लिए सस

यू पी में अधिवक्ता खतरे में

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हापुड़ में प्रियंका त्यागी एडवोकेट के साथ पुलिस प्रशासन द्वारा बदसलूकी और उसके बाद हापुड़ बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के शांति पूर्ण धरने पर सी ओ हापुड़ द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज करना, साथ ही, महिला अधिवक्ताओं को भी लाठी चार्ज के घेरे में लेना जिसमें दो दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं का गम्भीर रूप से घायल होना, इसे लेकर पूरे यू पी के अधिवक्ताओं की कलमबंद हड़ताल और ठीक हड़ताल के दिन हापुड़ से सटे हुए गाजियाबाद में 35 वर्षीय अधिवक्ता मोनू चौधरी की गोली मारकर हत्या उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं की असुरक्षित स्थिति दिखाने के लिए पर्याप्त है और अधिवक्ता सुरक्षा कानून की जरूरत की पुरजोर वक़ालत कर रही है.         वकीलों की सुरक्षा के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया प्रतिबद्ध है और इसीलिए अधिवक्ता सुरक्षा कानून के ड्राफ़्ट को बीसीआई ने मंजूरी दे दी थी . बीसीआई ने इस ऐक्ट का प्रारूप तैयार कर सभी राज्यों की बार काउंसिल को भेजा था और उनसे सुझाव और संशोधन के लिए राय मांगी थी और फिर बिना किसी संशोधन के ही ऐक्ट के मसौदे को मंजूरी दे दी गयी. एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल की रूपरेखा और ड्राफ़्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया

पाकिस्तान लौटेगी सीमा हैदर

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     सीमा हैदर (पाकिस्तान की नागरिक) आजकल भारत में चर्चाओं में टॉप टेन में शामिल हैं और यही नहीं इस चर्चित चेहरे का फायदा उठाकर स्वयं को टॉप रैंकिंग में लाने के लिए भारतीय मीडिया भी काफी हाथ-पैर मार रहा है. पाकिस्तान के मुस्लिम समुदाय की सीमा हैदर अपने चार बच्चों के साथ तीन देशों - पाकिस्तान, नेपाल और भारत के बार्डर को अवैध रूप से पार कर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के रघुपुरा में अवैध रूप से रह रही है और अब वह भारत के नागरिक सचिन की पत्नी के तौर पर भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए आगे बढ़ गई है और यही भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए बढ़ाया गया सीमा हैदर का कदम उसकी भारत में अवैध उपस्थिति का भंडाफोड़ कर गया है.  भारत में नागरिकता अधिनियम-1955 द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्ति के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जो इस प्रकार हैं -   पंजीकरण द्वारा नागरिकता  केन्द्रीय सरकार, आवेदन किये जाने पर, नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के तहत किसी व्यक्ति (एक गैर क़ानूनी अप्रवासी न होने पर) को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है यदि वह निम्न में से किसी एक श्रेणी के अंतर्गत आता ह

अधिवक्ता हित सर्वोपरि मानते हैं बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट

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        माननीय श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी संघर्षों का दूसरा नाम हैं. शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी जब कक्षा 6  में थे तब शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने मजदूरी की, कक्षा 7 में घर पर क्राकरी का काम किया, हॉकरी भी की और तब उन्हें इस कार्य के लिए 140/-रुपये मिलते थे. शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने 1977-78 में इन्टर किया और उसके बाद ट्यूशन करने शुरू किए. 1990 में शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने वक़ालत पास की, 2000 मे पहली बार क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ा और ब्लॉक अध्यक्ष चुने गए. 2005 मे जिला पंचायत सदस्य चुने गए. 2006-07 में समाजवादी पार्टी के विधान सभा अध्यक्ष रहे. 2008 में खुर्जा बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी रहे. 2009-10 में समाजवादी पार्टी की अधिवक्ता सभा के जिला सचिव रहे. 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी के विधान सभा के जिला अध्यक्ष रहे. 2018 में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य चुने गए और 1 साल 2020-21 में सचिव और तीसरी बार सह अध्यक्ष चुने गए.     इतने कड़े संघर्षों के साथ माननीय श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी अपने जीवन के सिद्धांतो पर अडिग खड़े रहे और 20 अगस्त 2023 को यह गौड़ सर की श्र