प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े [गूगल से साभार ] '' सियासत को लहू पीने की लत है, वर्ना मुल्क में सब खैरियत है .'' ये पंक्तियाँ अक्षरश: खरी उतरती हैं सियासत पर ,जिस आरक्षण को दुर्बल व्यक्तियों को सशक्त व्यक्तियों से बचाकर पदों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था . जिसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक , सामाजिक , शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े लोगों को देश की मुख्य धारा में लाना था उसे सियासत ने सत्ता बनाये रखने के लिए '' वोट '' की राजनीति में तब्दील कर दिया . सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया था .इसी साल अप्रैल में उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने के पूर्ववर्ती मायावती सरकार के निर्णय को ख़ारिज कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरक़रार रखा और अखिलेश यादव सरकार ने इस फैसले पर फ़ौरन अमल के निर्देश दिए थे किन्तु वोट कि राजनीति इतनी अहम्